मौसमी जानकारी

हुकुम डेविड लिंच को हिंदी में श्रद्धांजलि देने का आनंद कुछ और होगा।

यह सिर्फ़ उनके जाने के बाद समझ आया की श्रद्धांजलि उनके लिए नहीं जो बीत गए बल्कि उनके लिए होती है जो बचे रह जाते हैं। और इसीलिए इस हिंदी में लिखी श्रद्धांजलि से हिंदी प्रदेश में लिंच के जगमग प्रकाश को पहुँचाने का आनंद अनूठा होगा। २ दिन पूर्व लिंच के निधन ने मुझे अवाक् छोड़ दिया है। "जिसका डर था वो हो गया!" इस दिन का आना कली युग के एक नए चक्र की शुरुआत सा महसूस हो रहा है। एक ओर मन कृतज्ञ हुआ जाता है यह जान कर कि वो इस समय तक हमारे साथ बने रहे। मैं इस समय की भावना को जितना हो सके समेटना चाहती हूँ , इसीलिए आज लिखना चाहती हूँ वो सब जो उनके होने और उनके जाने ने मुझे महसूस कराया :

१. जो बचा है उसे समेट लो: एक आर्टिस्ट का कर्त्तव्य है एक काल से दूसरे काल तक, एक छोर से दूसरे छोर तक एक पुल बन जाना। सीख , सोच, संभावनाओं के पिटारे को अपनी छाती से लगा कर बचा लेना- सब विपदाओं के बावजूद। यदी आज हम अपने आस पास प्रेरणा का कोई भी स्त्रोत देखते हैं, उसकी याद खुद में समाहित कर लेना - शौक नहीं ज़रूरत है , ताकि प्रेरणा का स्त्रोत सूखे न - न सिर्फ़ ख़ुद में, बल्कि हम में।

२. विचित्र को सुनो: weird और strangeness मानवीय अनुभवों में एक बड़ी जगह रखते हैं। हम जो भारत में हैं, अनूठेपन के गढ़ में हैं। इस सौभाग्य को हम थोड़ा और मना सकते हैं। जीवन कठिन नहीं, विचित्र है - यह जानकर और मानकर हम जीवन के सभी पड़ाव को घृणा या दुःख से ज़्यादा जिज्ञासा से देख पाएंगे। विचित्र से भय नहीं विस्मय करो - सुनो वो क्या कहना चाह रहा है।

३. सह-अस्तित्व का सौभाग्य - यह पहले बिंदु से मिलती जुलती बात है। हर क्षण इतिहास का एक अंश है, हम आज उस इतिहास का हिस्सा हैं।The joy of co-existence. यह एक मज़ेदार एक्सरसाइज होगी, यह जानना किन लोगों के समकालीन होने का आपको सुख आज मिला हुआ है। कौन ऐसे लोग हैं जिनके होने भर से आपको सुकून मिलता है।  हम कोशिश भर कर सकते हैं कि समय रहते उनसे दो बात हम कर पाने के काबिल बने। यह बात किसी सेलेब्रिटी के साथ सेल्फी खिंचवाने से बहुत जुदा है।

४. जुड़ाव ज़रूरी - डेविड लिंच की सबसे ख़ूबसूरत बात यह थी कि उन्होंने वृद्धावस्था में भी टेक्नोलॉजी का भरपूर उपयोग किया और लोगों तक पहुचनें का प्रयास जारी रखा। Covid में लिंच का यूट्यूब चैनल लाखों बेचैन लोगों के लिए थेरेपी का काम करता था। उन्होंने कभी किसी एजेंडा को पूरा करने के लिए कुछ नहीं किया, वो किया जो उन्हें अच्छा लगा।

लिंच चेतना के अथाह सागर में साहसी मछुआरे थे जो इंसानी समझ को पुख्ता करने के लिए छोटी-बड़ी मछलियाँ पकड़ लाया करते थे। उनके ideas ने हमें आलौकिक रसपान कराया है। आप सूरज की किरणों से सदा प्रकाशमान रहोगे। सर डेविड लिंच, नीले आसमान और सुनहरे प्रकाश में आपसे कभी मुलाकात होगी।

राजस्थान से एक छोटी मछुआरिन का सप्रेम नमन!

19.01.2025

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