टूटी पायल

Unpublished from 16. 06. 2022


आज मेरे गुस्से का कारण 

मेरी टूटी हुयी पायल 

जिसको पिछले ३ बरस 

रूठने न दिया 

टूटने न दिया 


सिवाए कुछ दिन..

वो एक 

जब तुम ने खोस डाली थी पैरो से 

नागा शरीर 

पगलायी खोपड़ी।  


फिर एक दिन खुल गयी 

खुद ब खुद,

कुछ अनहोनी हुयी थी।  


अब जब गाओं के उजड़ जाने के बाद 

मैं  आशा पिरो रही थी।  

एक दिन चटक गयी 

नाख़ून भर से..

कह गयी 

टूटे को जोड़ा नहीं करते 

पलायन पर लौटा नहीं करते।  


मगर इतना साहस कहाँ से बटोरूँ ?

तू चांदी की हो कर भी बिखर जाती है 

मैं गार की हो कर भी 

फंसी पड़ी हूँ। 


मेरे नंगे पैर 

मेरा सब कुछ लुट जाने की छवि 

कभी रुलाती है

कभी गुस्सा दिलाती है।  


पायल तो अक्सर मिलती तोहफे में है 

मगर पसंद बहुत कम आती हैं।  






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