Posts

Showing posts from March, 2017

एक सवाल, राजुरा से

Image
बम्बई में आदमी तेज़ और गाड़ी धीरे चलती है। ट्रैन को पकड़ने की जल्दी में भागती नैना को पुल्ल पर चलती किसी गाड़ी जैसा महसूस हो रहा था। वो धीमें चलने वालों को राईट से ओवरटेक कर रही थी और कुछ लोग, उसे। इस क्रम में चलते चलते उसने यकायक ब्रेक लगाए और खुद को पुल्ल के बायीं ओर पार्क किया। एक काका वजन तोलने की मशीन के साथ इस चहलकदमी को दिन रात सुना करते थे , आँखों पर मोटा काला चश्मा साफ़ बता रहा था कि वो आँखों से देख नहीं सकते थे। नैना ने कहा " काका वजन देख रही हूँ " "हाँ हाँ देखो देखो .. बैग बसता नीचे रख कर तुलना" उन्होंने हिदायत दी। नैना मशीन पर चढ़ी तो शरीर की चर्बी का बोझ खुद ब खुद उसे महसूस होने लगा, मशीन के कांटे को कुछ कहने की ज़रूरत नहीं थी। फिर भी जब मशीन की सुई ने उससे सच कहा तो प्रतिउत्तर में चूँ  तक न निकली । "वजन बढ़ गया?" काका ने माहौल के मौन को तोड़ा "चिंता मत करो थोड़ा घुमा फिरा करो, कम हो जायेगा , tension नहीं लेने का" काका ने नैना की चुप्पी में मशीन के कांटे को अपनी सीमा को पार करते देख लिया था। नैना मुस्कुराते हुए आगे बढ़ी। और उसका दिमाग पैरों