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Showing posts from January, 2025

मौसमी जानकारी

हुकुम डेविड लिंच को हिंदी में श्रद्धांजलि देने का आनंद कुछ और होगा। यह सिर्फ़ उनके जाने के बाद समझ आया की श्रद्धांजलि उनके लिए नहीं जो बीत गए बल्कि उनके लिए होती है जो बचे रह जाते हैं। और इसीलिए इस हिंदी में लिखी श्रद्धांजलि से हिंदी प्रदेश में लिंच के जगमग प्रकाश को पहुँचाने का आनंद अनूठा होगा। २ दिन पूर्व लिंच के निधन ने मुझे अवाक् छोड़ दिया है। "जिसका डर था वो हो गया!" इस दिन का आना कली युग के एक नए चक्र की शुरुआत सा महसूस हो रहा है। एक ओर मन कृतज्ञ हुआ जाता है यह जान कर कि वो इस समय तक हमारे साथ बने रहे। मैं इस समय की भावना को जितना हो सके समेटना चाहती हूँ , इसीलिए आज लिखना चाहती हूँ वो सब जो उनके होने और उनके जाने ने मुझे महसूस कराया : १. जो बचा है उसे समेट लो: एक आर्टिस्ट का कर्त्तव्य है एक काल से दूसरे काल तक, एक छोर से दूसरे छोर तक एक पुल बन जाना। सीख , सोच, संभावनाओं के पिटारे को अपनी छाती से लगा कर बचा लेना- सब विपदाओं के बावजूद। यदी आज हम अपने आस पास प्रेरणा का कोई भी स्त्रोत देखते हैं, उसकी याद खुद में समाहित कर लेना - शौक नहीं ज़रूरत है , ताकि प्रेरणा का स्त्रोत ...

टूटी पायल

Unpublished from 16. 06. 2022 आज मेरे गुस्से का कारण  मेरी टूटी हुयी पायल  जिसको पिछले ३ बरस  रूठने न दिया  टूटने न दिया  सिवाए कुछ दिन.. वो एक  जब तुम ने खोस डाली थी पैरो से  नागा शरीर  पगलायी खोपड़ी।   फिर एक दिन खुल गयी  खुद ब खुद, कुछ अनहोनी हुयी थी।   अब जब गाओं के उजड़ जाने के बाद  मैं  आशा पिरो रही थी।   एक दिन चटक गयी  नाख़ून भर से.. कह गयी  टूटे को जोड़ा नहीं करते  पलायन पर लौटा नहीं करते।   मगर इतना साहस कहाँ से बटोरूँ ? तू चांदी की हो कर भी बिखर जाती है  मैं गार की हो कर भी  फंसी पड़ी हूँ।  मेरे नंगे पैर  मेरा सब कुछ लुट जाने की छवि  कभी रुलाती है कभी गुस्सा दिलाती है।   पायल तो अक्सर मिलती तोहफे में है  मगर पसंद बहुत कम आती हैं।  

See you soon Mr. Lynch.

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Grief is such a personal and maybe also a private thing. So little do we know about grief and how to hold it. Maybe it is something to be felt deep inside, and thus is difficult to articulate. Something to marinate in, to be lived with for days, like how we wear sweaters in winters and one day - boom, they are gone. It's summer time!  A part of me is also embarrassed to be sharing this grief so publicly. It would hardly ever make sense to anyone- even to myself! But then like he often said, life is full of surprises and so difficult to make sense of. It is a strange feeling what he left me with. I have till date - fortunately- not lost a loved one and was often having fears of seeing death up close.  Who would have thought that it would be Lynch who would give me this feeling for the first time. It's very hard to describe. When a man in the park tried to come close and chat with me, I could only say “My grandfather has died today.”  I have not watched a lot of cinema, a f...