हम दो

गुलाब गुलदस्ते
तोहफ़े महंगे सस्ते
नहीं,
हम इन सब में नहीं पड़ते हैं
हम बातें करते हैं।

कभी गांव के पहाड़ की
कभी बादल से दहाड़ की
सड़क, कमीज़, मकान की
न जाने क्या क्या करते हैं
हम बातें करते हैं।

बिना पीकू की साड़ी का
रह रह धागा रिसता है
ऐसे दाना दाना बातों का
हर दिन आटा पिसता है।
ऐसे बतियन की बाटिया
हम अक्सर सेका करते हैं
हम बातें करते हैं।

और जब किसी बात पर
ये बातें रुक जाती हैं
हम खूब ज़ोर से लड़ते हैं
बात बात पर अड़ते हैं
और फिर से बातें करते हैं
हम बस बातें करते हैं।  

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