परीक्षा
 ओ परीक्षा  स्कूलों में तुझसे, पीछा छुड़ाया  दूर तुझसे जाकर, मज़ा खूब आया  कलाकारी में, कोई दुविधा नहीं है  किताबो को रटने का, टंटा नहीं है  भ्रम एक और, आज टुटा है यह भी  परीक्षा है हर कुछ  परीक्षा है यह भी  जवाबो से ज़्यादा, जटिल जो समस्या  समस्या तो हर क्षण, खड़ी नित नयी है.   अजीब हालत है, परीक्षा से पहले वो कितनी बड़ी और भयावह होती है, और निकल जाये तो बस रस्ते का रोड़ा, सिर्फ एक पड़ाव। तैयारी कितनी भी होती थी, कोई एक सवाल तो चकमा देने वाला होता था, जिस पर "out of course" होने के इलज़ाम भी लगाये जाते थे. मगर सच में जीवन का सिलेबस तो अंतहीन है, और किसी जटिल समस्या को देख कर लाचार होने के अलावा उपाय क्या है?   बहरहाल, याद नहीं आता की कभी किसी इम्तिहान में क्षत प्रतिशत नम्बरो से पास हुयी हूँ !