साधारण सी
यूँ तो अलसायी रहती हूँ
मगर आज काफ़ी दिनों बाद
कुछ पका रही हूँ।
सामग्री:
बारीक कटे विचार
थोड़े सवाल, कुछ उद्गार
अलंकार स्वादानुसार।
एक एक कर
कागज़ के पतीले में उँडेले
और ख्यालों की मद्धम आंच पर सेंके।
कलम की करछी से
रह रह कर चलाती रही,
कहीं लग न जायें!
परोसने से पहले
एक बार चखा ज़रूर
बताओ कैसी लगी हुज़ूर?
मगर आज काफ़ी दिनों बाद
कुछ पका रही हूँ।
सामग्री:
बारीक कटे विचार
थोड़े सवाल, कुछ उद्गार
अलंकार स्वादानुसार।
एक एक कर
कागज़ के पतीले में उँडेले
और ख्यालों की मद्धम आंच पर सेंके।
कलम की करछी से
रह रह कर चलाती रही,
कहीं लग न जायें!
परोसने से पहले
एक बार चखा ज़रूर
बताओ कैसी लगी हुज़ूर?
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