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पहली विदेश यात्रा

पहली विदेश यात्रा खोल देती है चक्षु, दुनिया के दूसरे छोर तक। जीवंत हो जाता है भूगोल। सुने कागज़ के नक्शों में तैरते दिखते हैं द्वीप अनंत हर टापू एक बोलता किरदार होता है। सैलानी तारो को देखा करते थे पहले अब तारों में उड़ते हुए, ज़मीन ताकते हैं। धरती की छाती चीरती कुछ खदाने दूर से चमकती हैं और दीखता है सुस्ताया सा बूढ़ा समंदर जो पानी की चादर ओढ़े खूब मज़े में सोता है हवा से उसकी चादर जितना चाहे फड़फड़ायें। पासपोर्ट के बनने पर देश आपको स्वीकारता है वहीँ इमीग्रेशन का ठप्पा लगने पर, आप पासपोर्ट को।