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कॉलोनी में एक नयी फॅमिली रहने आयी थी।

फॅमिली क्या हैं
शायद कोई न्यूली मैरिड हैं।
अरे भाई कोई न्यूली मैरिड नहीं हैं, साथ रह रहे हैं बस!
बस!
क्या मतलब?
इतने गिरे हुए लोग!
मालूम नहीं लिव-इन का फैशन है आजकल
अब तो अखबारों में भी लिखा आता है इसके बारे में
आपको पता नहीं!

हम्म
अजीब बला हैं
रसोई की खिड़की से झांको तो लड़का सब्ज़ी बनाता दीखता था
जोरू का गुलाम, बिलकुल
पर जोरू कैसे हुई?
जब शादी ही नहीं हुयी तो!
बस सब ऐसे ही है

यह नज़राने कुछ ही दिनों के हैं जनाब
शादी होने दो, प्रेम की पुंगी की कुकर से भी तेज़ हवा निकलेगी।

कैसी बातें करते हो ?
शादी!
इन जैसे लोग शादी कहाँ करते हैं
 जिस दिन लड़के ने खाना बनाना छोड़ा
अगले दिन देखना
दुश्मन हो जायेंगे
एक दूसरे का मुँह नहीं देखेंगे
यह यहाँ साथ नहीं टिकने वाले
जल्द ही नए किरायदार आएंगे
लिख के लेलो।

लो फिर से शुरू हो गए.,
अजीबो गरीब गाने सुनते हैं
अंग्रेज़ों की औलाद
एक दिन उर्दू की ग़ज़लें और गीत सुने जा रहे थे
तभी समझ आया
मुसलमान है।

फिर कॉलोनी में रहते हुए उन्हें तीन महीने हो चुके थे।

लो तीन महीने हो गए
अभी तक वही हाल
कोई वो हाल नहीं
सुना नहीं
कल क्या जोर की लड़ाई हो रही थी
कितनी उठा पठक थी
बिल्डिंग ही गिर जाती !

जब जायेंगे तब शान्ति मिलेगी
कमिटी वाले भी तो आजकल कुछ कहते सुनते नहीं
जो जैसे रहे वैसे रहे
यह भी कोई बात होती है !

कभी कभी तो बर्तन बजते ही हैं
मगर इनके स्पीकर के गाने तो हमेशा बजते ही रहते हैं

एक दिन तो गज़ब हो गया
सुबह सुबह रुद्री का पाठ चलाने लगे
मंत्रो की गूँज सब जगह थी
बड़े विचित्र लोग हैं
कभी मांगणियारो के गीत
तो कभी कुछ अरबी गानों के भी बाप दादा
फिर एक दिन इक़बाल बानो  की ग़ज़ल सुनने लगे
"जब ताज गिरेंगे तो हम देखेंगे..."
कम्युनिस्ट साले!!


लो यार
हम भी क्यों पीछे रहे..
अपने मन का कोई गाना बताओ
मेरे मन का ?
हाँ न
कोई भी
नया पुराना

मुझे पाकीज़ा का वो गाना बहुत पसंद है
बहुत दिन हो गए सुने हुए
चलते चलते युहीं कोई मिल गया था...


कॉलोनी में उन्हें अब रहते लगभग एक साल हो गया था, बातें काम नहीं हुयी मगर धीरे धीरे संगीत बढ़ गया
अब हर खिड़की पर एक मनपसंद गीत मंडराता था।
और किचन की उन खिड़कियों के पीछे खाना पकाती औरतों के साथ आदमी भी दिखा करते थे।








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