बहुत हुआ !
अरी ओ, बावली बम्बई . . बहुत नाच नचा लिया, खूब खेल दिखा दिया। कुछ सांस लेने दे कुछ देर थमने दे। अरे ओ, पगले यायावर, तू लौट आएगा ज़रूर मधुर आस्वादन के बाद, कुछ तीखे की तलाश में। कि कुछ फ़रेब बाकी है, तेरे हिस्से की कुछ चोट बाकि हैं। 14. 06. 16